Tuesday, 29 October 2013

Diwali Pujan Vidhi : How to Perform Lakshmi Puja on Deepavali

Lakshmi Maa
Shree MahaLakshmi Pujan Vidhi
जनसाधारण के लिये विधि विधान द्वारा पूजन करना एक दुष्कर कार्य है। जो व्यक्ति कर्मकांड में निपुण होता है, उस व्यक्ति के द्वारा ही यह कार्य कुशलतापुर्वक सम्पन्न किया जाता है। इस पूजन में अनेक मंत्रो का प्रयोग किया जाता है जो कि संस्कृत में होते हैं। इसलिये मंत्रोउच्चारण में त्रुटि की सम्भावना भी रहती है। जो व्यक्ति कर्म कांड से अनभिग्य हैं, वे भी इसे सही तरह से सम्पन्न कर सकते हैं।

Details of Puja Essentials - Laxmi Pujan Samagri

Initial Puja and Preparation
दीपावली (Diwali) के दिन शुभ मुहूर्त (Muhurta) में घर में या दुकान में, पूजा घर के सम्मुख चौकी बिछाकर उस पर लाल वस्तर बिछाकर लछ्मी-गणेश की मुर्ति या चित्र स्थापित करें तथा चित्र को पुष्पमाला पहनाएं। मुर्तिमयी श्रीमहालछ्मीजी के पास ही किसी पवित्र पात्रमें केसरयुक्त चन्दनसे अष्टदल कमल बनाकर उसपर द्रव्य-लछ्मी (रुपयों) को भी स्थापित करके एक साथ ही दोनोंकी पूजा करनी चाहिये। पूजन-सामग्री को यथास्थान रख ले। पूजन के लिये पूर्व (east) या उतर (north) की और मुख करके बैठें। इसके पश्चात धूप, अगरबती और ५ दीप (5 diya) शुध्द घी के और अन्य दीप तिल का तेल /सरसों के तेल (musturd oil) से प्रज्वलित करें। जल से भरा कलश (Kalash) भी चौकी पर रखें। कलश में मौली बांधकर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह अंकित करें। तत्पश्चात श्री गणेश जी को, फिर उसके बाद लक्ष्मी जी को तिलक करें और पुष्प अर्पित करें। इसके पश्चात हाथ में पुष्प, अक्षत, सुपारी, सिक्का और जल लेकर संकल्प (sankalp) करें।

Sankalp
मैं (अपना नाम बोलें), सुपुत्र श्री (पिता का नाम बोलें), जाति (अपनी जाति बोलें), गोत्र (गोत्र बोलें), पता (अपना पूरा पता बोलें) अपने परिजनो के साथ जीवन को समृध्दि से परिपूर्ण करने वाली माता महालक्ष्मी (Maha Lakshmi) की कृपा प्राप्त करने के लिये कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन महालक्ष्मी पूजन कर रहा हूं। हे मां, कृपया मुझे धन, समृध्दि और ऐश्वर्य देने की कृपा करें। मेरे इस पूजन में स्थान देवता, नगर देवता, इष्ट देवता कुल देवता और गुरु देवता सहायक हों तथा मुझें सफलता प्रदान करें।
यह संकल्प पढकर हाथ में लिया हुआ जल, पुष्प और अक्षत आदि श्री गणेश-लछ्मी के समीप छोड दें।

How to? Step by step Poojan
इसके बाद एक एक कर के गणेशजी , मां लछ्मी , मां सरस्वती (Accounts Books/Register/Baheekhaata), मां काली (Ink Pot Poojan ), धनाधिश कुबेर Lord Kuber (Tijori/Galla), तुला मान की पूजा करें। यथाशक्ती भेंट, नैवैद्य, मुद्रा, वस्तर  आदि अर्पित करें।

दीपमालिका पूजन (Diya Pujan)

किसी पात्रमें 11, 21 या उससे अधिक दीपों को प्रज्वलित कर महालक्ष्मी के समीप रखकर उस दीप-ज्योतिका "ओम दीपावल्यै नमः" इस नाम मंत्रसे गन्धादि उपचारोंद्वारा पूजन कर इस प्रकार प्रार्थना करे-

त्वं ज्योतिस्तवं रविश्चन्दरो विधुदग्निश्च तारकाः |
सर्वेषां ज्योतिषां ज्योतिर्दीपावल्यै नमो नमः ||
दीपमालिकाओं का पूजन कर अपने आचार के अनुसार संतरा, ईख, पानीफल, धानका लावा इत्यादि पदार्थ चढाये। धानका लावा (खील) गणेश, महालछ्मी तथा अन्य सभी देवी देवताओं को भी अर्पित करे। अन्तमें अन्य सभी दीपकों को प्रज्वलित कर सम्पूर्ण गृह अलन्कृइत करे। 

Aarti and Pushpanjali
गणेश, लछ्मी और भगवान जगदीश्वर की आरती करें। उसके बाद पुष्पान्जलि अर्पित करें, छमा प्रार्थना करें। 
पहले "जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा" आरती उसके बाद Mata Lakshmiji Ki Aarti and  Om Jai Jagadish Hare Aarti

Pushpanjali Mantra - Offer flowers to Goddess laxmi

विसर्जन - Visarjan
पूजनके अन्तमें हाथमें अक्षत लेकर नूतन गणेश एवं महालछ्मीकी प्रतिमाको छोडकर अन्य सभी आवाहित, प्रतिष्ठित एवं पूजित देवताओं को अक्षत छोडते हुए निम्न मंत्रसे विसर्जित करे-
यान्तु देवगणाः सर्वे पूजमादाया मामकीम् |
इष्टकामसमृध्दयर्थं पुनरागमनाया च ||
Please Note:
मंदिर, तुलसी माता, पीपल आदि के पास दीपक जलाना नहीं भुलना।

लक्ष्मी पूजा में तिल का तेल का उपयोग ही श्रेष्ठ होता  है | अभाव में सरसों का इस्तमाल कर सकते है |


लक्ष्मी पूजा विधि-2

ओम अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोस्ति वा।
य: स्मेरत पुण्डरीकांक्ष स बाह्यभ्यन्तर: शुचि: ॥
चौकी के दायीं ओर घी का दीपक प्रज्जवलित करें। इसके पश्चात दाहिने हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर निम्न मंत्रों से स्वस्तिवाचन करें -
ओम स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धाश्रवा: स्वस्ति न: पूषा विश्ववेदा:। स्वस्ति नस्ताक्ष्र्यो अरिष्टनेमि:स्वस्तिनो बृहस्पतिर्दधातु॥
पय: पृथिव्यांपय ओषधीयु पयो दिव्यन्तरिक्षे पयो धा:। पयस्वती: प्रदिश: सन्तु मह्यम। विष्णो रामटमसि विष्णो: श्नप्त्रेस्थो विष्णो: स्यूरिस विष्णोधुरर्वासि:। वैष्णवमसि विष्णवे त्वा॥ अग्निर्देवताव्वातोदेवतासूय्र्योदेवता चन्द्रमा देवताव्वसवो देवता रुद्रोदेवता बृहस्पति: देवतेन्द्रोदेवताव्वरुणादेवता:॥ ओम शांति: शांति: सुशांतिभर्वतु। सर्वोरिष्ठ-शांतिर्भवतु॥
विभिन्न देवता‌ओं के स्मरण के पश्चात निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें-
विनायकम गुरुं भानुं ब्रहाविष्णुमहेश्वरान।
सरस्वतीय प्रणाम्यादौ सर्वकार्यार्थ सिद्धर्य॥
हाथ में लि‌ए हु‌ए अक्षत और पुष्प को चौकी पर समर्पित कर दें।
एक सुपारी लेकर उस पर मौली लपेटकर चौकी पर थोड़े से चावल रखकर सुपारी को उस पर रख दें। तदुपरांत भगवान गणेश का आह्वान करें-
आहृवान के पश्चात निम्नलिखित मंत्र की सहायता से गणेशजी की प्रतिष्ठा करें और उन्हें आसन दें-
अस्यै प्राणा: प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणा: क्षरन्तु च।
अस्यै देवत्वमर्चायै मामहेति च कश्चन॥
गजाननं सुप्रतिष्ठिते वरदे भवेताम ॥
प्रतिष्ठापूर्वककम आसनार्थे अक्षतान समपर्यामि गजाननाभ्यां नम:।
पुन: अक्षत लेकर गणेशजी के दाहिनी ओर माता अम्बिका का आवाहन करें
ओम अम्बे अम्बिकेम्बालिके न मां नयति कश्चन।
ससस्त्यश्वक: सुभद्रिकां काम्पीलवासिनीम ।
हेमाद्रितनयां देवीं वरदां शंकरप्रियाम।
लम्बोदरस्य जननीं गौरीमावाहयाम्यहम॥
ओम भूभुर्व: स्व: गौर्य नम:, गौरीमावाहयमि, स्थापयामि, पूजयामि च ।
अक्षत चौकी पर छोड़ दें। अब पुन: अक्षत लेकर माता अम्बिका की प्रतिष्ठा करें-
अस्यै देवत्वमचौर्य मामहेति च कश्चन॥
आम्बिके सुप्रतिष्ठिते भवेताम।
प्रतिष्ठापूर्वकम आसनाथे अक्षतान समर्पयामि गणेशम्बिका नम: ।
ऐसा कहते हु‌ए आसन के समक्ष समर्पित करें।
महाल्क्ष्मी पूजन
उक्त समस्त प्रक्रिया के पश्चात प्रधान पूजा में भगवती महालक्ष्मी का पूजन करना चाहि‌ए। पूजन से पूर्व नवीन चित्र और श्रीयंत्र तथा द्रव्यलक्ष्मी स्वर्ण अथवा चांदी के सिक्के आदि की निम्नलिखित मंत्र से अक्षत छोड़कर प्रतिष्ठा कर लेनी चाहि‌ए।
अस्यै प्राण: प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणा: क्षरन्तु च ।
अस्यै देवत्मर्चायै मामहेति च कश्चन॥
ध्यान: तदुपरान्त हाथ में लाल कमल पुष्प लेकर निम्न मंत्र देवी लक्ष्मी का ध्यान करें।
आवाहन: हाथ में पुष्प लेकर देवी का आवाहन करे-
सर्वलोकस्य जननीं सर्वसौख्यप्रदासिनौम।
सर्वदेवमदयीमीशां देवीवाहयाम्हम॥
अब पुष्प समर्पित करें।
तप्मका‌ऋनर्वाभं मुक्तामणिविराजितम।
अमलं कमलं दिव्योमासन प्रतिगृहृताम॥
आसन के लि‌ए कमल पुष्प अर्पित करें-
गड्डनदितीर्थसम्भूतं गन्धपुष्पादिभिर्युतम।
पाद्यं ददाम्यी देवि गृहाणाशु नमोस्तुति ते॥
अघ्र्य: निम्न मंत्र से देवी को अघ्र्य दें अष्टगंध से मिश्रित जल से-
अष्टगन्धसमायुक्तं स्वर्णपात्रप्रपूरितम।
अघ्र्यं गृहाण महतं महालक्ष्मी नमोस्तुते॥
ओम महालक्ष्म्यै नम:। अघ्य समर्पयामि॥
स्नान: निम्न मंत्र से देवी को स्नान करा‌एं-
मन्दाकिन्या: समानीतैर्हेमाम्भोरुहासितै:।
स्नानं कुरूष्व देवेशि सलिलैश्च सुगन्धिभि:॥
ओम महालक्ष्म्यै नम:। स्नानं समर्पयामि॥
पचांमृतस्नान: निम्न मंत्र से देवी को पंचामृत घी, शहद, दुग्ध, शर्करा, दही स्नान करा‌ए:
पयो दधि घृतं चैव मधुशर्करयान्वितम।
पत्रामृतं मयानीतं स्नानार्थ प्रतिगुहृताम॥
ओम महालक्ष्म्यै नम:। पंचामृत स्नानं समर्पयामि॥
शुद्धोदक स्नान: निम्न मंत्र से देवी को शुद्धोदक स्नान करा‌एं:
मन्दाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपापहरं शुभम।
तदिदं कल्पित तुभ्यं स्नानार्थ प्रतिगृहृताम॥
ओम महालक्ष्त्यै नम:। शुद्धोदक स्नानं समर्पयातिम॥
वस्त्र: निम्न मंत्र से देवी को वस्त्र अर्पित करें:
दिव्याम्बरं नूतनं हि क्षौमं त्वतिमनोहरम।
दीयमानं मया देवि गृहाण जगदम्बिके॥
ओम महालक्ष्मै नम:। वस्त्रं समर्पयामि॥
आभूषण: निम्न मंत्र से देवी को आभूषण अर्पित करें:
रत्नकड्कणवैदूर्यमुक्ताहारादिकदत्तानि च।
सुप्रसन्नेन मनसा दत्ताति स्वीकुरुष्व भो:॥
ओम महालक्ष्म्यै नम:। आभूषणें समर्पयामि॥
गंध: निम्न मंत्र से देवी को गंध रोली-चंदन अर्पित करें:
श्रीखण्डं चंदन दिव्यं गन्धाढयं सुमनोहरम।
विलेपनं सुरक्षेष्ठ चदंन प्रमितगृहृताम॥
ओम महालक्ष्म्यै नम:। गन्धं समर्पयामि॥
सिंदूर: निम्न मंत्र से देवी को सिंदूर अर्पित करें:
सिन्दूरं रक्तवर्ण व सिन्दूरतिलप्रिये।
भक्त्या दत्तं मया देवि सिन्दूरं प्रतिगृहृताम॥
ओम महालक्ष्म्यै नम:। सिन्दूरं समर्पयामि॥
कुमकुम: निम्न मंत्र से देवी को कुमकुम अर्पित करें:
तैलानि च सुगन्धीनि द्रव्ययाणि विविधानि च।
मया दत्तानि लेपाथ गृहाण परमेश्वरि॥
ओम महालक्ष्म्यै नम:। कुंकुमं समर्पयामि॥
अक्षत: निम्न मंत्र से देवी को अक्षत चावल अर्पित करे:
अक्षताश्च सुरक्षेष्ठे कुड्कमाक्ता: सुशोभिता:।
मया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वरि॥
ओम महालक्ष्म्यै नम:। अक्षतम समर्पयामि॥
अक्षत के स्थान पर अपनी परम्परा के अनुरूप हल्दी की गांठ या गुड़ भी अर्पित किया जाता है।
पुष्प एवं पुष्पमाला: निम्न मंत्र का उच्चारण करते हु‌ए देवी को पुष्प एवं पुष्पमाला अर्पित करे-
माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो।
मयानीतानि पुष्पाणि पूजाथ प्रतिगृहृताम।
ओम महालक्ष्म्यै नम:। पुष्पं पुष्पमालाम च समर्पयामि॥
ओम महालक्ष्म्यै नम:। धूपमाप्रापघामि॥
दीप: निम्न मंत्र का उच्चारण करते हु‌ए देवी को दीप दिखा‌एं:
साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वहृना योजित मया।
दीपं गृहाण देवेशि त्रैलोक्यतिमिरापहम॥
ओम महालक्ष्म्यै नम:। दीपम दर्शयामि॥
नैवेद्य: किसी कटोरी में पान के पत्ते के ऊपर नैवेद्य प्रसाद रखें तथा उस पर लौंग का जोड़ा अथवा इलायची रखें। तदुपरांत निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हु‌ए देवी को उक्त समस्त सामग्री अर्पित करें-
शर्कराखण्डखाद्यानि दधिक्षीरघृतानि च।
आहारं भक्ष्यभोज्यं च नैवेद्यं प्रतिगृहृाताम॥
उत्तरापानाथ हस्तप्रक्षालनाथ मुख्यप्रक्षलानार्थ च जलं समर्पयामि।
ऐसा कहते हु‌ए जल अर्पित करें।
ऋतुफल और दक्षिणा: अग्रलिखित मंत्र का उच्चारण करते हु‌ए देवी को ऋतुफल और दक्षिणा अर्पित करें:
इदं फलं मया देवि स्थापित पुरतस्तव:।
तेन से सफलावप्तिर्भवेज्जनमनि जन्मनि॥
हिरणगर्भगर्भस्थं हेमबीजं विभावसों:।
अनन्तपुण्यफलमत: शांतिं प्रयच्छ मे॥
ओम महालक्ष्म्यै नम:। ऋतु फलं दक्षिणाम च समर्पयामि:॥
आरती, पुष्पाज्जलि और प्रदक्षिणा
निम्न मंत्र का उच्चारण करते हु‌ए आरती, पुष्पाज्जलि और प्रदक्षिणा करें:
कदलीगर्भसम्भूतं कर्पूरं त प्रदीपितम।
आरार्तिकमहं कुर्वे पश्य मे वरदो भव॥
नानासुगन्धिपुष्पाणि यथाकालोभ्दवानि च।
पुष्पाज्जलिर्मया दत्ता गृहाण परमेश्वरि॥
यानि काानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिण पदे पदे।
ओम महालक्ष्म्यै नम:। प्रार्थनापूर्वक नमस्कारान समर्पयामि॥
समर्पण
निम्नलिखित का उच्चारण करते हु‌ए महालक्ष्मी के समक्ष पूजन कर्म को समर्पित करें और इस निमित्त जल अर्पित करें-
कृतेनानने पूजनेन भगवती महालक्ष्मीदेवी प्रीयताम न मम॥
उक्त प्रक्रिया के पश्चात देवी के समक्ष दण्डवत प्रणाम करें तथा अनजाने में हु‌ई त्रुटियों के लि‌ए क्षमा मांगते हु‌ए, देवी से सुख-सम़ृद्धि , आरोग्य तथा वैभव की कामना करें।

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